लघुकथा:
आत्मग्लानि
मिसेज भट्ट और मिसेज सेन पुरानी पड़ोसिनें थीं। परन्तु आज तड़के ही दोनों ने जमकर झगड़ा किया।हुआ यूँ कि मिसेज सेन का दस वर्षीय बेटा बैट-बॉल लेकर एक मित्र के साथ सामने वाले मैदान में धौनी जैसा कारनामे दिखाने पहुँच गया था। जिसे देखो उसको ही आजकल पठान या कोहली बनने का भूत सवार है।
क्रिकेटरों मे छक्का-चौका मारने का कितना नशा होता है। इतना नशा यदि देशप्रेम और देश की जनता से होता तो देश की आधी गरीबी दूर हो गई होती !!
खैर खेलते-खेलते एक छक्के का बॉल मिसेस भट्ट के मकान की एक खिड़की से टकरा गया और खिड़की का कांच टुकड़ा-टुकड़ा हो गया।
मिसेस भट्ट और उनके बच्चे दौड़े- दौड़े बारामदे में आए। खिड़की की दुर्दशा देख सिर पिट लिये।
मैदान की ओर देखकर मिसेज भट्ट कुछ खरी-खोटी सुनायी भी और उनके बच्चे.... बच्चे तो बच्चे हीे ठहरे ! मैदान में जाकर खूब लडाई की और गाली-गलौज़ भी !
सभी बच्चे मैदान से वापस आ गये और फिर जमकर मिसेज भट्ट और मिसेज
सेन और वे बच्चे लड़े। कोई कसर नही छोड़ी गई।
कुछ समय बाद सब कुछ सामान्य
हो गया। सब अपने-अपने काम में लग गये।
शाम को बाज़ार करके लौटते समय मकान की बगल से जाती हुई सड़क को क्रॉस करने में मिसेज भट्ट अचानक एक तेज़ आती हुई ऑटो रिक्शा से टकरा कर सड़क पर गिर गईं और ज़ख्मी हो गईं। उनका सिर फट गया और खून बहने
लगा।
मिसेज सेन मकान के आहते में बैठी हुई थीं। अचानक उनकी नज़र सड़क पर हुए इस हादसे पर चली गई। लोगबाग वहाँ पलक झपते जमा हो गए थे। मिसेज सेन भी वहाँ पहुँचीं और झट उन्होंने एक रिक्शा में उन्हें बैठा कर पास के ही एक क्लिनिक पर ले गईं।
तत्काल डॉक्टर ने मिसेज भट्ट का उपचार किया। दो-तीन टाँके भी लगाये।
पट्टियाँ भी बाँधीं।
जब मिसेज भट्ट को थोड़ा बहुत
राहत महसूस हुआ तब उन्होंने अपनी नजरें चारों तरफ घुमाईं। मिसेज सेन को वहाँ देख कर उनका चेहरा पीला पड़
गया।
थोड़ी देर बाद उन्होंने शर्माते हुए अपने हाथ जोड़ लिये और कहा- "बहन, मुझे माफ़ कर देना ! नाहक़ मैंने तुम्हें छोटी-
सी बात पर सुबह-सुबह खरी-खोटी
सुनाई। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मेरे बच्चे भी न......!
मिसेज सेन की पलकें भींग गईं। वे दोनों हाथ फैला कर मिसेज भट्ट को बाँहों में जकड़ ली बिना कुछ भी कहे ही।
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दिनेश एल "जैहिंद"
19.12. 2015
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