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## बिहार और मेरिट घोटाला ##


बिहार और मेरिट घोटाला
//दिनेश एल० "जैहिंद"





जहाँ लोग समाज, परिवार, अपनों, बच्चों से आदर्श, शिष्टाचार, संस्कार, ईमानदारी और सच्चाई की अपेक्षा करते हैं, वहीं इस समाज में आदर्शहीन, अशिष्टाचारी व असंस्कारी शिक्षकों, प्रोफेसरों और प्रिंसपलों द्वारा पोषित व शिक्षित होकर हमारे बच्चे इस देश को भावी कर्णधार के रूप में मिल रहे हैं।

अब ऐसी स्थिति में इस परिवार, समाज और इस देश का भला क्या हो सकता है ? कोई भी जरा-सा दिमाग पर ज़ोर देकर सोच सकता है।

मैं भी सोचता हूँ कि क्यों हमारे देश, समाज, परिवार व हमारे लोगों के बीच से आदर्श, शिष्टाचार, संस्कार, ईमानदारी, सच्चाई जैसे विशेष मानवीय गुण कैसे गदहे की सींग की तरह गायब होते जा रहे हैं।

अब जा के बात समझ में आई है कि किस प्रकार ये सारे अमानवीय गुण बच्चों, किशोरों तथा युवाओं को कहाँ और किस संस्थान से मिल रहे हैं। जिस देश की शिक्षण व्यवस्था व शिक्षण संस्थाएं इस प्रकार कमज़ोर व जर्जर
हो, वहाँ के बच्चे-किशोर-युवा संस्कारी, ईमानदार, सच्चे, सभ्य व भद्र कैसे हो सकते हैं ?

जब प्राथमिक विद्यालय व मध्य विद्यालय के शिक्षक कमर तक, माध्यमिक विद्यालय व उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक गर्दन तक और कालेजों व विश्व विद्यालयों के प्रोफ़ेसर व प्रिंसिपल सिर तक भ्रष्टाचार, हेराफेरी व घोटालों  में डूबे बैठे हों तो फिर इन नये होनहार, भावी पीढ़ी के बच्चों व युवाओं का हश्र तो यही होना ही धा, जो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में व विशुन राय जैसे कालेजों में देखने को मिला है।

भ्रष्टाचार...! भ्रष्टाचार तो हमारे देश को दीमक की तरह चाट गया। चाहे कोई भी क्षेत्र, संस्थान या व्यवस्था हो। सभी जगहों पर भ्रष्टाचार अपनी जडे़ं गहराई तक जमाए बैठा हुआ है।

आए दिन भ्रष्टाचार व घोटाले का खुलासा होते रहता है। भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को चाट रहा है तो घोटाला विषाणु की तरह देश को खोखला कर रह है। फिर भी ये दोनों गोरख धंधे समाप्त होने के नाम नहीं ले रहे हैं और न कोई इन्हें खत्म करने का विड़ा ही उठा रहा है।
बिहार में जो इंटर मेरिट घोटाला हुआ और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति तथा प्रिंसिपलों, प्रोफेसरों, शिक्षकों की जो बुराई व जग हंसाई हुई उसकी कितनाहुं भी भर्त्सना की जाय वो कम ही होगी।
पूरे बिहार की नाक देश में और पूरे देश की नाक विश्व में नीची कर के रख दी इस घोटाले ने।

जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति व
कालेजों से जुड़े हुए उच्च पदाें पर विराजमान लालकेश्वर प्र० सिंह, डा० उषा सिन्हा, अनिल ठाकुर, बच्चा राय जैसे लोग भ्रष्टाचार व घोटाले में संलिप्त हों तो जरा सोचिए कि हमारी शिक्षा- व्यवस्था किस प्रकार लंगड़ी और लुल्ही हो गई है।

बिहार की शैक्षणिक योग्यता व बिहारियों पर वैसे भी शेष देश विश्वास नहीं करता 
है। एक-आध अपवाद हो सकता है, परन्तु सभी राज्यों में एक-सी स्थिति है।
और उस पर से ये इतनी बड़ी धांधली व इतना बड़ा घोटाला....! भला कौन विश्वास व भरोसा करेगा बिहार व बिहारियों पर। यह बिहार के बच्चों व युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है ....?

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दिनेश एल० "जैहिंद"
13. 07. 2016

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