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कविता : ....तब आँसू छलक जाते हैं !!!




....तब आँसू छलक जाते हैं !!!

थोड़े रूपए मिल जाते हैं
जब किसी ग़रीब को !
भर पेट भोजन मिल जाता है
जब किसी बदनसीब को !!
किसी भिखारी को जब
थोड़ी भीख मिल जाती है !
किसी अज्ञानी को जब
थोड़ी सीख मिल जाती है !!
और तब कितने दिल महक जाते हैं,,,,
फिर आँखों से आँसू छलक जाते हैं |

एक बेटा मिल जाता है
जब किसी नि:संतान को !
कोई रास्ता मिल जाता है
जब किसी अनजान को !!
कोई नौकरी मिल जाती है
जब किसी बेरोजगार को !
बिछड़ा यार मिल जाता है
जब किसी प्यार को ! !
और तब कोरे नैना दमक जाते हैं,,,,,
फिर आँखों से आँसू छलक जाते हैं |

जब कोई मीत, कोई अपना
इस जहां में गुम हो जाता है !
जब दिल को अपना बेटा
असह्य पीड़ा दे जाता है !!
जब कोई अपना ही बन्धु
अपमान की सूई चुभाता है !
जब कोई इस कोमल तन पर
दस-दस कोड़े बरसाता है !!
और तब तन-मन फफक जाते हैं,,,,,
फिर आँखों से आँसू छलक जाते हैं |

## दिनेश एल० "जैहिंद"
08. 01. 2017

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