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कह - मुकरी


** कह-मुकरी **
// दिनेश एल० “जैहिंद”



अपनी हालत मैं देखि शरमाई,
उसने मुझको खूब गुल खिलाई,
सुन-सुन आँखें सबकी भर आई...
ए सखि साजन, न सखि शहनाई !

मुझ संग करे वो बड़ अठखेली,
बात करे देख हँस-हँस अकेली,
रुक-रुक देवे बड़ मुझको झटका...
ए सखि साजन, न सखि झुमका !

मेरी आँखों का मजाक उड़ाए,
मेरे गालों को चुम-चुम जाए,
मुझसे जाए कभीकभार लिपट...
ए सखि साजन, न सखि लट !

सरदी में ले भर-भर अँकवारी,
खूब लगे मुझको भी वो प्यारी,
मैं भी करती खूब उसका आदर...
ए सखि साजन, न सखि चादर !

≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈≈
दिनेश एल० “जैहिंद”
12. 01. 2018

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