लघुकथा: भविष्य
# दिनेश एल० "जैहिंद"
एक बार एक दम्पती परिवार नियोजन रखने में असफल हो गये।
पति-पत्नी दोनों ही पास के ही एक नामी डॉक्टर के पास पहुँचे....।
डॉक्टर ने पर्ची पर नजर दौड़ाते हुए आवाज लगाई --"मालती देवी !"
एक महिला ने पर्दा हटाकर अंदर प्रवेश किया और स्टूल पर बैठ गई।
"आप मालती देवी हैं !"
"हाँ, डॉक्टर साहेब !" महिला ने तत्काल उत्तर दिया।
"... आपकी क्या समस्या है ?"
"डॉक्टर साहेब !" महिला ने अपनी समस्या बताई-- " मै खुद का गर्भ रोकने में असफल रही। मैं तीन महीने के गर्भ से हूँ। मैं इस गर्भ से मुक्त होना चाहती हूँ।"
"..... क्यों ?" डॉक्टर ने तुरंत सवालिया नजर महिला के ऊपर डालते हुए पूछा।
महिला अचानक ऐसे सवाल को झेलने की स्थिति में नहीं थी। फिर भी वह अपने आपको सम्भालते हुए अपना पक्ष रखा-- " डॉक्टर साहेब, चूँकि मेरे पहले से पाँच बच्चे हैं। सो मैं अब और बच्चा नहीं चाहती हूँ। अत: मैं इस अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हूँ।"
"देखिए, मालती देवी !" डॉक्टर साहेब ने उसे सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की--
"बरसात शुरु होने से पहले यदि आप जलावन की व्यवस्था नहीं करती हैं तो बारिश आने पर पछताना ही पड़ेगा।"
"ठीक है डॉक्टर साहेब, अब तो चूक हो ही गई है। आपके पास आई हूँ। इस मुसीबत से निजात दिलाइए।"
"देखिए... मलती देवी, यह गलत बात है। गर्भ से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। इससे माँ के शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। माँ का स्वास्थ्य भी बिगड़ जाता है। जान भी जोखिम में पड़ सकती है।"
इतना कहकर डॉक्टर ने आगे पूछा--
" आपके पति कहाँ हैं ?"
"यहीं हैं डॉक्टर साहेब !" महिला ने जवाब दिया।
"..... तो बुलाइए उन्हें !"
दरवाजे पर खड़ा महिला का पति सब सुन रहा था। तुरंत अन्दर आकर खड़ा हो गया।
"आप इनके पति हैं ?" डॉक्टर ने पूछा।
"हाँ, डॉक्टर साहेब !"
"... तो सुनिए आप दोनो ! आपकी पत्नी गर्भ को मुसीबत कहती है। तो गर्भ कोई मुसीबत नहीं होता। लोग मुसीबत बना लेते हैं।"
डॉक्टर ने आगे और कहा-- "गर्भ भविष्य होता है और लोग आजकल भविष्य को अनदेखा कर रहे हैं, ये अच्छी बात नहीं है ।"
" भविष्य में ही उन्नति छिपी है। मुझे देखिए। मैं अपने माँ-बाप की सातवीं संतान हूँ। मैं पाँच भाई व दो बहनें हूँ।
मैं पाँचवां भाई और अंतिम संतान हूँ।
मेरे चार भाई बेकार व नालायक हैं और मैं एमबीबीएस डॉक्टर हूँ। यहाँ चालीस साल से प्रैक्टिस कर रहा हूँ।"
इतना कहकर डॉक्टर साहेब चुप हो गए कि कहीं दम्पती कुछ कहें। मगर किसी ने कुछ नहीं कहा।
महिला स्टूल से उठी और उसने अपनी पर्ची उठाई और बिना कुछ कहे अपने पति संग बाहर निकल गई।
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