(A)
मछली पकड़ने और खाने वाले सावधान ! मछली पकड़ना, जबह करना, चौराहों पर बेचना, बाज़ार-हाट में खुलेआम बेचना, खरीद
कर लाना और खाना कानूनी जुर्म है। इसके एवज में आप को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती हैं :--
(1) ज़िंदा मछली पकड़ने पर एक साल की सज़ा या एक लाख का जुर्माना या दोनों ही।
(2) मछली बेचते या काटते पकड़े जाने पर डेढ़ साल की जेल या उतनी ही रकम का जुर्माना या दोनों एक साथ।
(3) मछली खरीदते या बना कर खाते पकड़े जाने पर छ: माह की जेल या पचास हज़ार का जुर्माना या दोनों ही।
(B)
मुर्गा या मुर्गी पालना तो ठीक है, लेकिन उसे बेचना, खरीदना, खाना, हलाल करना बेहियाती जुर्म है। इसके लिए कड़े कानून बनाये गए हैं। अत: इससे जुड़े सभी लोग सावधान..!
(C)
बकरी-बकरे, भेड़ा-भेड़ी और सूअर-सूअरियों का पालन पोषण तो कर सकते हैं आप। लेकिन आप इन्हें बेच-खरीद या हलाल नहीं कर सकते हैं। अगर आप या आप में से कोई इस तरह के किसी व्यवसाय से जुड़ा है तो सावधान हो जाए क्योंकि :--
(1) बकरी या भेड़ी का दूध आप अपने लिए निकाल तो सकते हैं लेकिन आप इसे खरीद-बेच नहीं सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता हैं।
(2) बकरे या भेड़ या सूअर को बेच तो सकते हैं परन्तु आप इन्हें हलाल नहीं कर सकते हैं।
अगर ऐसा करते हुए पकड़े जाते हैं तो आपको पाँच साल की जेल या पाँच लाख रुपए का जुर्माना या जेल और हर्ज़ाना दोनों एक साथ भी हो सकता है।
(3) इन सबों का मीट बेचना व खरीदना जुर्म है। अगर बेचते या पका कर खाते पकड़े जाते हैं तो दो साल की क़ैद या दो लाख का जुर्माना या ये दोनों ही दंड एक साथ लागू हो सकता है।
(D)
यदि आप गाय, बैल, ऊँट आदि के खरीद-फरोख्त या इनके मांस (बीफ़) के बिज़नेस में लगे हैं तो सावधान हो जाइए या कोई और दुरूस्त बिज़नेस की तलाश तुरंत शुरू कर दीजिए, क्योंकि :--
(1) इनका दूध निकालना या बेचना जुर्म है बशर्ते आप अपने लिए निकालते हैं तो चलेगा वरना एक साल की जेल या एक लाख रूपए का ज़ुर्माना या ये दोनों ही हो सकता है।
(2) यदि इन्हें हलाल करते हैं या इनका बीफ़ बेचते हैं तो दस साल की कड़ी सज़ा या दस लाख रूपए का जुर्माना या जेल और जुर्माना दोनों भी हो सकता है।
(3) इनका मीट(बीफ़) खरीदते या खाते हुए पकड़े जाते हैं तो आप की ख़ैर नहीं है।
सात साल की कड़ी जेल की सज़ा या सात लाख की नकद रकम या ये दोनों ही सज़ाएं एक साथ लागू हो सकती हैं।
........अधिक झुकते हैं,
तो लोग यहाँ झुका देते हैं।
..........अधिक तनते हैं,
तो सर कलम कर देते हैं।
......ना नरमी में गुजर है,
.....ना गरमी में गुजर हैं ,
......हम बेबस लाचार हैं,
........तो कुछ लोग हमें
...क्या से क्या कर देते हैं..?
""डोर इतना भी ना खींचो कि
तन कर बेचारा टूट ही जाए |
सताओ भी ना किसी को इतना
कि बेचारे का दम घूँट ही जाए |""
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दिनेश एल० "जैहिंद"
24. 04. 2016
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